औरंगज़ेब की धार्मिक, आर्थिक और प्रशासनिक नीतियों ने मुगल साम्राज्य को कैसे बदला? जानें उसके शासन के विवाद, जज़िया कर, मंदिरों का विध्वंस और दक्षिण भारत की मुहिम का विस्तृत विश्लेषण।
प्रस्तावना
मुगल साम्राज्य का इतिहास कई उतार-चढ़ावों से भरा है, औरंगज़ेब का शासन (1658–1707) उसका सबसे विवादित दौर माना जाता है। उनकी नीतियाँ धार्मिक कट्टरता, दक्षिण के अभियानों, आर्थिक दबाव और प्रशासनिक कठोरता के लिए जानी जाती हैं। इस लेख में हम औरंगज़ेब की नीतियों, उनके प्रभाव और उनसे जुड़ी विवादों पर विस्तृत चर्चा करेंगे।
1️⃣ धार्मिक नीति
सुन्नी रूढ़िवादिता: औरंगज़ेब ने इस्लामी शरीअत पर जोर दिया।
जज़िया कर: 1679 में गैर-मुस्लिमों पर जज़िया कर पुनः लागू किया।
मंदिर विध्वंस: कुछ ऐतिहासिक प्रमाण बताते हैं कि उन्होंने कई मंदिर तोड़े, पर कुछ ने इसका विरोधाभास भी बताया है।
सहिष्णुता के उदाहरण: कई हिंदू सरदारों को उच्च पद भी दिए, जैसे राजा जयसिंह।
2️⃣ प्रशासनिक एवं आर्थिक नीति
कठोर राजस्व व्यवस्था: खेती पर भारी कर जिससे किसानों में असंतोष बढ़ा।
सैनिक विस्तार: दक्षिण भारत (बीजापुर, गोलकोंडा) की लम्बी मुहिमों ने खजाने को कमजोर किया।
नौकरशाही पर नियंत्रण: भ्रष्टाचार रोकने के लिए सख्त नियम।
3️⃣ विवाद और विद्रोह
मराठा आंदोलन (शिवाजी और आगे संभाजी)
सिख गुरु तेगबहादुर का शहादत प्रसंग
राजपूत विद्रोह
इन विद्रोहों ने साम्राज्य को कमजोर किया और अंततः मुगल शक्ति का पतन तेज़ किया।
4️⃣ दक्षिण अभियान
औरंगज़ेब ने लगभग 25 वर्ष दक्कन में गुजारे। बीजापुर और गोलकोंडा को जीतने में सफलता मिली पर लगातार युद्धों ने राजकोष खाली कर दिया।
5️⃣ मूल्यांकन
कुछ इतिहासकार उन्हें कट्टर शासक मानते हैं, तो कुछ सशक्त प्रशासक। उनकी नीतियों ने अल्पकालीन राजनीतिक नियंत्रण तो दिया, पर दीर्घकालीन अस्थिरता बढ़ाई।
निष्कर्ष
औरंगज़ेब की नीतियाँ आज भी इतिहासकारों और पाठकों को सोचने पर मजबूर करती हैं। क्या आप मुगल काल के और रोचक तथ्य जानना चाहते हैं?
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