"गांधीवादी संविधान को अपनाना" (1948) एक प्रस्ताव था, जिसे गांधीजी के अनुयायियों ने भारत की संविधान सभा के समक्ष रखा था। इसका उद्देश्य भारतीय संविधान को गांधीवादी सिद्धांतों पर आधारित बनाना था।
गांधीवादी संविधान की प्रमुख बातें:
1. ग्राम स्वराज: सत्ता का विकेंद्रीकरण, जहां प्रत्येक गाँव आत्मनिर्भर हो।
2. अहिंसा और सत्य: सरकार और समाज का आधार अहिंसा और सत्य हो।
3. स्वदेशी: आर्थिक नीतियाँ आत्मनिर्भरता और स्वदेशी उद्योगों को बढ़ावा दें।
4. समानता: जाति, धर्म और लिंग के आधार पर किसी प्रकार का भेदभाव न हो।
5. सामाजिक न्याय: गरीबों, किसानों और श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा हो।
6. नैतिक शासन: राजनीति में नैतिकता और पारदर्शिता का पालन हो।
हालांकि, संविधान सभा ने इस प्रस्ताव को पूरी तरह स्वीकार नहीं किया, लेकिन इसके कुछ सिद्धांत, जैसे विकेंद्रीकरण, ग्राम पंचायत व्यवस्था, और सामाजिक न्याय, भारतीय संविधान में शामिल किए गए।
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