"शिवाजी महाराज और मराठा साम्राज्य की स्थापना की कहानी जानें – स्वराज्य, गनिमी कावा, और छत्रपति का इतिहास | History of Shivaji Maharaj in Hindi"
परिचय
भारतीय इतिहास में 17वीं शताब्दी एक अहम दौर था। मुग़ल साम्राज्य अपनी चरम सीमा पर था, लेकिन इसी समय एक ऐसे योद्धा का उदय हुआ जिसने स्वतंत्रता, स्वराज्य और आत्मसम्मान की नींव रखी। यह योद्धा थे छत्रपति शिवाजी महाराज, जिन्होंने मराठा साम्राज्य की स्थापना की और भारतीय जनमानस को स्वराज्य का सपना दिखाया।
शिवाजी महाराज का प्रारंभिक जीवन
जन्म: 19 फरवरी 1630, शिवनेरी दुर्ग, पुणे
माता: जिजाबाई (धार्मिक और वीरता की प्रेरणा देने वाली)
पिता: शाहजी भोसले (बीजापुर दरबार में सेनापति)
शिवाजी बचपन से ही स्वतंत्रता की भावना और धर्म-रक्षा की प्रेरणा अपनी माता जिजाबाई और गुरु दादाजी कोंडदेव से पाते रहे।
स्वराज्य की नींव
1645 में मात्र 15 वर्ष की आयु में शिवाजी ने स्वराज्य की प्रतिज्ञा ली।
धीरे-धीरे तोरणा, राजगढ़, पुरंदर जैसे किलों पर विजय प्राप्त की।
छोटे-छोटे गढ़ों से शुरू होकर यह आंदोलन पूरे दक्खन में फैल गया।
औरंगजेब और शिवाजी
शिवाजी महाराज की बढ़ती शक्ति से मुग़ल चिंतित हुए। औरंगजेब ने उन्हें आगरा बुलाया, लेकिन वहां शिवाजी को बंदी बना लिया गया। किंतु उन्होंने चतुराई से वहां से निकलकर मराठा साम्राज्य को और भी मज़बूत किया।
coronation (राज्याभिषेक)
तिथि: 6 जून 1674
स्थान: रायगढ़ किला
शिवाजी का राज्याभिषेक ‘छत्रपति’ उपाधि के साथ हुआ।
मराठा साम्राज्य की विशेषताएँ
1. स्वराज्य और आत्मसम्मान – जनता के लिए शासन।
2. गनिमी कावा युद्धनीति – जंगल और पहाड़ियों का उपयोग करके छापामार युद्ध।
3. धार्मिक सहिष्णुता – मंदिरों और धार्मिक स्थलों की रक्षा।
4. प्रशासनिक सुधार – आठमंत्री परिषद (अष्टप्रधान मंडल) की स्थापना।
शिवाजी महाराज की विरासत
उन्होंने न केवल एक साम्राज्य की स्थापना की, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को स्वतंत्रता की प्रेरणा दी।
उनके पदचिह्नों पर चलते हुए मराठा साम्राज्य आगे चलकर मुग़लों के पतन का कारण बना।
निष्कर्ष
शिवाजी महाराज केवल एक राजा नहीं बल्कि एक आदर्श नेता, रणनीतिकार और राष्ट्रनायक थे। उनकी गाथा भारतीय इतिहास के स्वर्णिम पन्नों में सदा जीवित रहेगी।
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