शुक्रवार, 5 सितंबर 2025

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना (1885) – उद्देश्य, इतिहास और महत्व



जानिए 1885 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना का इतिहास, उद्देश्य और भारत के स्वतंत्रता संग्राम में इसकी भूमिका। पढ़ें पूरी जानकारी हिंदी में।


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प्रस्तावना

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के इतिहास में एक ऐतिहासिक मोड़ था। यह संस्था 1885 में बनी और धीरे-धीरे स्वतंत्रता संघर्ष का नेतृत्व करने वाली सबसे प्रमुख राजनीतिक पार्टी बनी।

पृष्ठभूमि

19वीं शताब्दी के उत्तरार्ध में भारतीय समाज में राष्ट्रीय चेतना का उदय हो रहा था। अंग्रेजों की नीतियों से असंतोष बढ़ रहा था। उसी समय शिक्षित वर्ग यह समझने लगा कि अंग्रेजी शासन का विरोध संगठित रूप से करना होगा।

स्थापना का वर्ष और स्थान

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना 28 दिसंबर 1885 को बॉम्बे (आज का मुंबई) में हुई। इस बैठक का आयोजन ए.ओ. ह्यूम (Allan Octavian Hume) नामक एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश अधिकारी ने किया था।

पहला अधिवेशन

स्थान: गोकुलदास तेजपाल संस्कृत कॉलेज, बॉम्बे

अध्यक्ष: डब्ल्यू.सी. बनर्जी (Womesh Chandra Banerjee)

प्रतिनिधि संख्या: लगभग 72


उद्देश्यों

1. भारतीयों को राजनीतिक मंच प्रदान करना।


2. अंग्रेज सरकार के सामने भारतीयों की मांग रखना।


3. राष्ट्रवाद की भावना को बढ़ाना।


4. शिक्षा और सामाजिक सुधार को प्रोत्साहित करना।



प्रारंभिक चरण (Moderate Phase – नरम दल)

1885 से 1905 तक कांग्रेस ने संविधान के दायरे में रहते हुए काम किया। नेताओं का विश्वास था कि याचना और संवाद से ब्रिटिश सरकार सुधार देगी।
प्रमुख नेता – दादाभाई नौरोजी, गोपाल कृष्ण गोखले, फिरोजशाह मेहता।

उग्रवादी चरण (1905 के बाद)

1905 के बंगाल विभाजन के बाद कांग्रेस का स्वरूप बदला। बाल गंगाधर तिलक, लाला लाजपत राय, बिपिन चंद्र पाल जैसे नेताओं ने स्वदेशी आंदोलन और ब्रिटिश शासन के बहिष्कार की नीति अपनाई।

स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका

कांग्रेस ने असहयोग आंदोलन (1920), सविनय अवज्ञा आंदोलन (1930) और भारत छोड़ो आंदोलन (1942) का नेतृत्व किया।

महात्मा गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस ने जनांदोलन का रूप दिया।

अंततः 15 अगस्त 1947 को भारत को स्वतंत्रता मिली।


महत्व

भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस केवल एक राजनीतिक संगठन नहीं रही, बल्कि यह भारत की स्वतंत्रता की धड़कन बनी। इसने भारतीयों को एक मंच, एक पहचान और स्वतंत्रता का सपना दिया।

निष्कर्ष

1885 में बनी यह संस्था भारत की स्वतंत्रता की नींव बनी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का इतिहास हमें यह सिखाता है कि संगठन, एकता और नेतृत्व से असंभव को भी संभव बनाया जा सकता है।

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