शनिवार, 1 नवंबर 2025

हरित क्रांति और भारतीय कृषि परिवर्तन | भारत के विकास की नई सुबह

जानिए कैसे हरित क्रांति ने भारतीय कृषि को आत्मनिर्भर बनाया। डॉ. स्वामीनाथन, HYV Seeds, MSP और तकनीकी सुधारों की पूरी कहानी।

🌾 प्रस्तावना

भारत सदियों से कृषि प्रधान देश रहा है। लेकिन स्वतंत्रता के बाद खाद्यान्न की कमी, अकाल और उत्पादन में गिरावट ने देश को गहरी चिंता में डाल दिया था। ऐसे समय में आई “हरित क्रांति (Green Revolution)” ने भारतीय कृषि को नई दिशा दी। यह क्रांति न केवल अन्न उत्पादन बढ़ाने की कहानी है, बल्कि यह स्वावलंबन, तकनीक और किसानों के आत्मविश्वास की भी कहानी है।

🌿 हरित क्रांति क्या थी?

हरित क्रांति एक वैज्ञानिक कृषि आंदोलन था जो 1960 के दशक में भारत में शुरू हुआ। इसका मुख्य उद्देश्य था —
✅ कृषि उत्पादन में वृद्धि
✅ नई तकनीक, बीज और सिंचाई प्रणाली का प्रयोग
✅ खाद्यान्न की आत्मनिर्भरता

यह क्रांति मुख्य रूप से डॉ. एम. एस. स्वामीनाथन और नॉर्मन बोरलॉग के मार्गदर्शन में शुरू हुई।

🧑‍🌾 हरित क्रांति की शुरुआत

1965–66 में भारत को गंभीर खाद्यान्न संकट का सामना करना पड़ा। इसके बाद भारत सरकार ने ‘उच्च उपज वाले बीजों का कार्यक्रम (HYV Programme)’ शुरू किया।
पहले चरण में पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश में इस योजना को लागू किया गया।

⚙️ हरित क्रांति के मुख्य तत्व

1. उच्च उपज वाले बीज (HYV Seeds)
जैसे – IR8 और Kalyan Sona, जिन्होंने गेहूं और धान की उपज को कई गुना बढ़ाया।


2. रासायनिक खाद और कीटनाशक का उपयोग
इससे फसलों की उत्पादकता में सुधार हुआ।


3. सिंचाई प्रणाली का विस्तार
नहरों, ट्यूबवेल और पंपसेट के माध्यम से जल आपूर्ति सुनिश्चित की गई।


4. आधुनिक कृषि उपकरणों का उपयोग
ट्रैक्टर, हार्वेस्टर और थ्रेशर जैसी मशीनों ने किसानों का श्रम घटाया।


5. कृषि नीतियों और मूल्य समर्थन
सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) और कृषि ऋण जैसी योजनाएं शुरू कीं।

🌍 हरित क्रांति का प्रभाव

✅ खाद्यान्न उत्पादन में वृद्धि:
1960 के दशक में भारत का खाद्यान्न उत्पादन लगभग 72 मिलियन टन था, जो 1980 तक बढ़कर 130 मिलियन टन से अधिक हो गया।

✅ कृषि आत्मनिर्भरता:
भारत खाद्यान्न आयातक से निर्यातक देश बन गया।

✅ किसानों की आर्थिक स्थिति में सुधार:
नई तकनीक से उत्पादन बढ़ा, आय में वृद्धि हुई।

✅ ग्रामीण विकास:
सड़कें, बिजली, शिक्षा और बैंकिंग सुविधाएं ग्रामीण इलाकों तक पहुँचीं।

⚠️ हरित क्रांति की चुनौतियाँ

❌ क्षेत्रीय असमानता:
मुख्य रूप से उत्तर भारत (पंजाब, हरियाणा) को लाभ मिला, जबकि पूर्वी और दक्षिणी राज्यों में प्रभाव कम रहा।

❌ पर्यावरणीय प्रभाव:
रासायनिक खादों और कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग से मिट्टी की गुणवत्ता में गिरावट आई।

❌ जल संकट:
अत्यधिक सिंचाई से भूमिगत जलस्तर तेजी से घटा।

❌ कृषि विविधता में कमी:
गेहूं और धान पर अधिक निर्भरता बढ़ी।

🌱 हरित क्रांति 2.0 – नई दिशा

आज भारत हरित क्रांति 2.0 की ओर बढ़ रहा है —
🌿 जैविक खेती (Organic Farming)
🌿 ड्रोन और स्मार्ट खेती
🌿 सौर ऊर्जा आधारित सिंचाई
🌿 जल संरक्षण तकनीक
🌿 डिजिटल कृषि प्लेटफॉर्म

📈 निष्कर्ष

हरित क्रांति ने भारत को भूख और गरीबी से लड़ने की ताकत दी। आज जरूरत है कि हम संतुलित विकास और पर्यावरणीय स्थिरता की दिशा में कदम बढ़ाएँ।
कृषि ही भारत की आत्मा है, और हरित क्रांति उसका नया अध्याय।

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