मंगलवार, 14 जनवरी 2025

बाजीराव प्रथम की पुण्यतिथि (1740)

बाजीराव प्रथम की पुण्यतिथि (1740)

बाजीराव प्रथम (18 अगस्त 1700 - 28 अप्रैल 1740) मराठा साम्राज्य के सबसे वीर और महान पेशवाओं में से एक थे। उनकी पुण्यतिथि हर वर्ष उनके बलिदान और असीम नेतृत्व कौशल को याद करने का अवसर प्रदान करती है।

परिचय

बाजीराव प्रथम, जिन्हें बाजीराव बल्लाल के नाम से भी जाना जाता है, मराठा साम्राज्य के दूसरे पेशवा थे। उन्होंने अपने नेतृत्व और युद्ध कौशल से मराठा साम्राज्य का अभूतपूर्व विस्तार किया। उन्हें "भारतीय नेपोलियन" भी कहा जाता है। उन्होंने अपने जीवनकाल में 41 युद्ध लड़े और सभी में विजय प्राप्त की।

मुख्य उपलब्धियां

1. मराठा साम्राज्य का विस्तार:
बाजीराव ने मराठा साम्राज्य को दिल्ली, मालवा, गुजरात, और दक्षिण भारत तक फैलाया। उनका मुख्य उद्देश्य मुगलों के पतन को तेज करना और मराठा साम्राज्य को मजबूत बनाना था।


2. रणनीतिक कौशल:
बाजीराव ने युद्ध में हल्की घुड़सवार सेना का इस्तेमाल कर दुश्मनों को चकमा देने और तेजी से हमला करने की रणनीति अपनाई। उनकी रणनीतियां आधुनिक सैन्य विज्ञान के लिए भी प्रेरणादायक हैं।


3. दिल्ली पर प्रभाव:
उन्होंने मुगल सम्राट के नियंत्रण को चुनौती दी और मराठा साम्राज्य को भारत के सबसे शक्तिशाली साम्राज्यों में से एक बना दिया।


4. अहद की जीतें:

पालखेड़ की लड़ाई (1728): यह उनकी सबसे बड़ी विजय मानी जाती है, जहां उन्होंने निजाम-उल-मुल्क को हराया।

भोपाल की लड़ाई (1737): इसमें उन्होंने मुगलों को निर्णायक रूप से हराया और दिल्ली के किले तक पहुंचने में सफल रहे।




व्यक्तित्व और नेतृत्व

बाजीराव अपने समय के सबसे प्रतिभाशाली और दूरदर्शी नेताओं में से थे। उनकी दृढ़ता, बहादुरी, और युद्ध कौशल ने मराठा साम्राज्य को एक नई ऊंचाई दी। वह धर्म और जाति से ऊपर उठकर शासन करते थे और उनके निर्णयों में जनता की भलाई प्राथमिकता थी।

पारिवारिक जीवन

बाजीराव का विवाह काशीबाई से हुआ था।

उनकी दूसरी पत्नी मस्तानी भी इतिहास में एक प्रसिद्ध और विवादास्पद पात्र रही हैं। मस्तानी के प्रति उनके प्रेम ने उनकी निजी और राजनीतिक ज़िंदगी में कई विवाद खड़े किए।


मृत्यु

बाजीराव की मृत्यु 28 अप्रैल 1740 को रावेरखेडी (मध्य प्रदेश) में हुई। वह केवल 39 वर्ष के थे, लेकिन इतने कम समय में उन्होंने जो उपलब्धियां हासिल कीं, वे भारतीय इतिहास में अमर हैं।

स्मरण और सम्मान

आज बाजीराव प्रथम की पुण्यतिथि पर, हम उनके शौर्य, बलिदान और रणनीतिक कुशलता को नमन करते हैं। वह न केवल मराठा इतिहास बल्कि पूरे भारतीय इतिहास के महानायक हैं।

"जो विजय चाहता है, वह किसी भी परिस्थिति में हार नहीं मानता।"
-बाजीराव प्रथम

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