राजा राममोहन राय और ब्रह्म समाज आंदोलन ने भारत में सामाजिक, धार्मिक और शैक्षणिक सुधारों की नींव रखी। इस ब्लॉग में जानिए कैसे राममोहन राय ने सती प्रथा, अंधविश्वास और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष किया और आधुनिक भारत की चेतना को जागृत किया।
✒️ परिचय
भारत के इतिहास में कुछ ऐसे महान व्यक्तित्व हुए हैं जिन्होंने समाज को नई दिशा दी। उनमें से एक थे राजा राममोहन राय (1772–1833) — आधुनिक भारत के निर्माता, जिन्होंने धर्म, शिक्षा, समाज और राजनीति में क्रांति की शुरुआत की। उनके नेतृत्व में ब्रह्म समाज आंदोलन भारतीय नवजागरण का आधार बना।
🌿 प्रारंभिक जीवन और शिक्षा
राजा राममोहन राय का जन्म बंगाल के राधानगर गाँव (हुगली जिले) में हुआ था। वे संस्कृत, फारसी, अरबी और अंग्रेज़ी के विद्वान थे। उन्होंने बचपन से ही धर्म के प्रति तर्कशील दृष्टिकोण अपनाया और अंधविश्वासों पर प्रश्न उठाए।
🔥 सती प्रथा के खिलाफ संघर्ष
19वीं सदी में सती प्रथा जैसी अमानवीय प्रथा समाज में व्याप्त थी। राममोहन राय ने इसके खिलाफ लगातार अभियान चलाया और अंततः 1829 में लॉर्ड विलियम बेंटिक के शासन में सती प्रथा पर प्रतिबंध लगा।
👉 यह भारतीय समाज सुधार का पहला बड़ा कदम था।
🕉️ ब्रह्म समाज की स्थापना (1828)
1828 में उन्होंने "ब्रह्म समाज" की स्थापना की, जिसका उद्देश्य था —
"एकेश्वरवाद, तर्क और मानवता पर आधारित समाज की रचना।"
यह आंदोलन हिंदू धर्म के भीतर सुधार लाने का प्रयास था, न कि उसका विरोध। ब्रह्म समाज ने मूर्ति पूजा, जातिवाद, और कर्मकांडों का विरोध किया।
📚 शिक्षा सुधार और आधुनिक विचार
राजा राममोहन राय ने अंग्रेजी और विज्ञान शिक्षा को समर्थन दिया।
उन्होंने हिंदू कॉलेज (कोलकाता) और संस्कृत कॉलेज की स्थापना में मदद की।
वे मानते थे कि सच्ची प्रगति शिक्षा से ही संभव है।
📰 पत्रकारिता और विचार स्वतंत्रता
वे भारत के पहले आधुनिक पत्रकारों में से थे।
उन्होंने ‘संवाद कौमुदी’ (बंगाली) और ‘मिरात-उल-अख़बार’ (फारसी) जैसे पत्रों के माध्यम से समाज में विचार जागरण फैलाया।
उन्होंने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की माँग की, जो आज हमारे लोकतंत्र की आत्मा है।
🌍 अंतरराष्ट्रीय दृष्टिकोण
राजा राममोहन राय भारत से इंग्लैंड गए और वहां भी भारतीय अधिकारों की वकालत की। वे भारतीय दूत के रूप में ब्रिटेन में माने जाते हैं। उनकी मृत्यु 1833 में ब्रिस्टल में हुई।
🌸 राजा राममोहन राय की विरासत
राजा राममोहन राय ने जो समाज सुधार की ज्योति जलाई, वह आगे चलकर ईश्वरचंद्र विद्यासागर, स्वामी विवेकानंद और महात्मा गांधी जैसे नेताओं तक पहुँची।
उनका ब्रह्म समाज आंदोलन भारतीय नवजागरण का आधार बना।
📈 निष्कर्ष
राजा राममोहन राय न केवल एक धार्मिक सुधारक थे, बल्कि भारत के पहले आधुनिक व्यक्ति भी थे।
उनके विचार आज भी शिक्षा, समानता और मानवता के प्रतीक हैं।
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