शनिवार, 30 अगस्त 2025

शेरशाह सूरी और ग्रांड ट्रंक रोड का निर्माण – भारत की ऐतिहासिक धरोहर


शेरशाह सूरी ने 16वीं शताब्दी में ग्रांड ट्रंक रोड का निर्माण करवाया था, जिसने भारत के व्यापार, संस्कृति और यातायात को नई दिशा दी। पढ़ें पूरा इतिहास, महत्व और आज की स्थिति।


प्रस्तावना

भारत का इतिहास महान शासकों और उनकी अद्वितीय उपलब्धियों से भरा हुआ है। इन्हीं शासकों में से एक थे शेरशाह सूरी (1540–1545), जिनका शासनकाल भले ही छोटा रहा, लेकिन उनके कार्यों ने भारतीय उपमहाद्वीप की संरचना और विकास को गहराई से प्रभावित किया।
उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि थी ग्रांड ट्रंक रोड (Grand Trunk Road) का पुनर्निर्माण, जिसे "भारत की रीढ़" कहा जाता है।


शेरशाह सूरी कौन थे?

असली नाम: फ़रीद ख़ान

उपाधि: शेरख़ान (एक शेर को मारने के बाद)

वंश: सूरी वंश

शासन: 1540 – 1545 (मुगल सम्राट हुमायूँ को हराकर)


शेरशाह सूरी एक दूरदर्शी प्रशासक थे। उन्होंने प्रशासनिक सुधारों, ज़मींदारी व्यवस्था, सिक्का प्रणाली, और सड़क निर्माण जैसे कई कदम उठाए, जिन्होंने भारत के विकास की नींव रखी।


ग्रांड ट्रंक रोड का इतिहास

ग्रांड ट्रंक रोड का अस्तित्व प्राचीन काल से माना जाता है। मौर्य सम्राट चंद्रगुप्त और अशोक के काल में भी यह मार्ग मौजूद था। लेकिन यह बिखरा हुआ और असुविधाजनक था।

शेरशाह सूरी ने इसे आधुनिक रूप में ढालकर चिटगाँव (बांग्लादेश) से काबुल (अफ़ग़ानिस्तान) तक जोड़ दिया। इसकी लंबाई लगभग 2,500 किमी थी।

निर्माण और विशेषताएँ

शेरशाह ने इस मार्ग के निर्माण में विशेष ध्यान दिया:

1. पक्की सड़कें – मिट्टी और पत्थरों से मजबूत मार्ग।


2. सराय (Inns) का निर्माण – हर 2 कोस (लगभग 8 किमी) पर यात्रियों के ठहरने के लिए।


3. कुआँ और बाग़ – यात्रियों की सुविधा और आराम के लिए।


4. पेड़ लगवाना – सड़क के दोनों ओर छाया देने वाले पेड़।


5. मील के पत्थर (Kos Minar) – दूरी बताने के लिए।


व्यापार और सांस्कृतिक महत्व

इस सड़क ने पूर्व और पश्चिम को जोड़ा।

व्यापारी, सैनिक, यात्री और विद्वान इसी मार्ग से यात्रा करते थे।

इसे "भारत की लाइफलाइन" कहा जाता है।

संस्कृतियों और विचारों के आदान-प्रदान में इसकी बड़ी भूमिका रही।


ब्रिटिश काल और आधुनिक स्थिति

ब्रिटिश शासन में ग्रांड ट्रंक रोड को और विकसित किया गया।

इसे NH-2 (नेशनल हाईवे-2) कहा गया, जो अब गोल्डन क्वाड्रिलैटरल प्रोजेक्ट का हिस्सा है।

आज भी यह मार्ग दिल्ली, आगरा, कानपुर, वाराणसी, कोलकाता जैसे बड़े शहरों को जोड़ता है।


शेरशाह सूरी की दूरदर्शिता

शेरशाह ने समझ लिया था कि यातायात और संचार किसी भी साम्राज्य की मजबूती के लिए आवश्यक है।
उनकी यह सोच आज भी प्रासंगिक है।

निष्कर्ष

ग्रांड ट्रंक रोड केवल एक सड़क नहीं थी, बल्कि यह भारत की धड़कन थी, जिसने व्यापार, संस्कृति और एकता को नई ऊँचाइयाँ दीं।
शेरशाह सूरी का यह योगदान उन्हें भारतीय इतिहास के महानतम शासकों की सूची में शामिल करता है।



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