गुरुवार, 9 जनवरी 2025

INS चक्र का लॉन्च (1988)

INS चक्र का लॉन्च (1988)

INS चक्र भारतीय नौसेना की पहली परमाणु-चालित पनडुब्बी थी, जिसे 1988 में भारतीय नौसेना के बेड़े में शामिल किया गया। यह पनडुब्बी सोवियत संघ (अब रूस) से 10 वर्षों के लीज़ पर ली गई थी। यह भारतीय नौसेना के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना थी, जिसने देश की नौसैनिक क्षमताओं को अभूतपूर्व रूप से सुदृढ़ किया।

INS चक्र की विशेषताएं

INS चक्र सोवियत संघ द्वारा निर्मित Charlie-I श्रेणी की परमाणु-चालित पनडुब्बी थी।

इसकी लंबाई लगभग 100 मीटर थी और यह 30 नॉट (करीब 55 किमी/घंटा) की अधिकतम गति से चल सकती थी।

यह पनडुब्बी परमाणु रिएक्टर द्वारा संचालित थी, जिससे इसे समुद्र के भीतर लंबे समय तक बिना सतह पर आए रहने की क्षमता प्राप्त थी।

INS चक्र को अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया गया था, जिसमें पानी के नीचे मार करने वाली मिसाइलें और टॉरपीडो शामिल थे।


रणनीतिक महत्व

INS चक्र के अधिग्रहण ने भारतीय नौसेना को परमाणु पनडुब्बी संचालन के क्षेत्र में अनुभव और प्रशिक्षण प्रदान किया।

इसने भारत को हिंद महासागर में अपनी सामरिक स्थिति मजबूत करने में मदद की और एक आत्मनिर्भर नौसेना के निर्माण की दिशा में कदम बढ़ाया।

हालांकि इसे सीधे युद्ध के लिए उपयोग करने की अनुमति नहीं थी (लीज़ शर्तों के तहत), इसका प्राथमिक उद्देश्य भारतीय नौसेना को परमाणु पनडुब्बियों के संचालन की तकनीकी जानकारी देना था।


समाप्ति और प्रभाव

INS चक्र का लीज़ 1991 में समाप्त हो गया, और इसे सोवियत संघ को वापस कर दिया गया। हालांकि, यह भारत के लिए केवल एक शुरुआत थी। INS चक्र के अनुभव ने भारत को अपनी स्वदेशी परमाणु पनडुब्बी, INS अरिहंत, विकसित करने में सहायता प्रदान की।

1988 में INS चक्र का लॉन्च भारतीय नौसैनिक इतिहास में मील का पत्थर साबित हुआ और यह देश की समुद्री सुरक्षा को नए आयाम देने में सहायक रहा।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कोरोना महामारी और भारत का ऐतिहासिक प्रबंधन – भारत ने कैसे दुनिया को राह दिखाई?

कोरोना महामारी में भारत का प्रबंधन, लॉकडाउन, वैक्सीन, आर्थिक पैकेज, स्वास्थ्य रणनीतियों और वैश्विक योगदान पर 1000+ शब्दों की पूर...