भारतीय सेना दिवस (Army Day) हर साल 15 जनवरी को मनाया जाता है। यह दिन भारतीय सेना के उन वीर जवानों और उनके बलिदानों को समर्पित होता है, जिन्होंने देश की सुरक्षा और सम्मान के लिए अपने प्राण न्योछावर किए। इस दिन की शुरुआत 1949 में हुई थी, जब फील्ड मार्शल के.एम. करिअप्पा ने भारतीय सेना के पहले कमांडर-इन-चीफ का पदभार ग्रहण किया था।
परेड रिहर्सल का महत्व:
सेना दिवस परेड नई दिल्ली के करिअप्पा परेड ग्राउंड में आयोजित की जाती है। इस परेड में भारतीय सेना की ताकत, कौशल और अनुशासन का प्रदर्शन किया जाता है। परेड से पहले कई दिनों तक रिहर्सल की जाती है ताकि इस आयोजन को पूर्णता और सटीकता के साथ प्रस्तुत किया जा सके।
रिहर्सल की विशेषताएं:
1. सेना के विभिन्न टुकड़ों का प्रदर्शन:
पैदल सेना, मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री, तोपखाने, वायु रक्षा, और अन्य रेजिमेंट्स अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करती हैं।
2. हथियारों और उपकरणों की झलक:
टैंक, मिसाइल सिस्टम, एडवांस्ड कम्युनिकेशन डिवाइस और अन्य सैन्य उपकरणों का प्रदर्शन किया जाता है।
3. जांबाज जवानों के करतब:
सेना के जवान मोटरसाइकिल पर हैरतअंगेज स्टंट और अनुशासन का प्रदर्शन करते हैं।
4. राष्ट्रीय ध्वज की सलामी:
रिहर्सल के दौरान भी जवान पूरे उत्साह और गरिमा के साथ राष्ट्रीय ध्वज को सलामी देते हैं।
5. सुरक्षा प्रबंधन:
रिहर्सल के दौरान सड़कों और आयोजन स्थल के आसपास कड़ी सुरक्षा सुनिश्चित की जाती है।
परेड रिहर्सल का उद्देश्य:
परेड के दिन होने वाले कार्यक्रम को सुचारू रूप से अंजाम देना।
जवानों की टीम भावना और अनुशासन को मजबूत करना।
देशवासियों को भारतीय सेना की शक्ति और कर्तव्यपरायणता से अवगत कराना।
आम जनता के लिए सलाह:
रिहर्सल के दौरान ट्रैफिक डायवर्जन होता है। आम जनता को इसकी जानकारी पहले से दी जाती है ताकि वे अपना समय और मार्ग सही ढंग से प्रबंधित कर सकें।
निष्कर्ष:
भारतीय सेना दिवस परेड और उसकी रिहर्सल न केवल सेना की तैयारी का प्रतीक है, बल्कि यह हमारे देश के प्रति उनकी निस्वार्थ सेवा को सम्मान देने का एक माध्यम भी है।
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