रविवार, 8 दिसंबर 2024

संविधान सभा की पहली बैठक (9 दिसंबर 1946)

संविधान सभा की पहली बैठक (9 दिसंबर 1946)

महत्वपूर्ण तथ्य:
9 दिसंबर 1946 को भारतीय संविधान सभा की पहली बैठक का आयोजन नई दिल्ली में हुआ। यह स्वतंत्र भारत के संविधान को बनाने की दिशा में पहला बड़ा कदम था।


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बैठक का उद्देश्य

संविधान सभा का मुख्य उद्देश्य भारत के लिए एक ऐसा संविधान तैयार करना था, जो सभी नागरिकों को समान अधिकार और न्याय सुनिश्चित कर सके। इस प्रक्रिया में भारतीय नेताओं ने व्यापक विचार-विमर्श और बहस के माध्यम से संविधान का मसौदा तैयार किया।


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प्रमुख घटनाएँ:

1. अंतरिम अध्यक्ष का चयन

पहली बैठक में डॉ. सचिदानंद सिन्हा को संविधान सभा का अंतरिम अध्यक्ष चुना गया।

बाद में डॉ. राजेंद्र प्रसाद को स्थायी अध्यक्ष चुना गया।



2. प्रतिनिधित्व और सदस्य

संविधान सभा में कुल 389 सदस्य थे, जो विभिन्न प्रांतों और रियासतों से चुने गए थे।

विभाजन के बाद, भारत की संविधान सभा में 299 सदस्य रह गए।



3. महिलाओं की भागीदारी

संविधान सभा में कई महिला सदस्य भी थीं, जैसे हंसा मेहता, सरोजिनी नायडू, दुर्गाबाई देशमुख, जो भारतीय महिलाओं के अधिकारों के लिए सक्रिय रहीं।



4. अंग्रेजों से स्वतंत्रता का प्रारंभिक कदम

यह बैठक भारत के आत्मनिर्णय और स्वतंत्रता के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर थी।





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महत्व

इस बैठक ने भारत को एक गणराज्य बनाने की प्रक्रिया शुरू की।

यह प्रक्रिया लगभग तीन साल तक चली, और 26 नवंबर 1949 को भारतीय संविधान को अंतिम रूप दिया गया।

26 जनवरी 1950 को यह संविधान लागू हुआ, और भारत एक संप्रभु, समाजवादी, धर्मनिरपेक्ष लोकतांत्रिक गणराज्य बना।



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संविधान सभा की पहली बैठक की चुनौतियाँ

विभाजन और सांप्रदायिक तनाव।

विभिन्न जातियों, धर्मों, और प्रांतों के बीच सहमति बनाना।

भारत की विविधता को ध्यान में रखते हुए संविधान तैयार करना।



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संविधान सभा की पहली बैठक का ऐतिहासिक महत्व

9 दिसंबर 1946 की यह बैठक भारतीय इतिहास का एक निर्णायक क्षण थी, जिसने स्वतंत्र भारत के निर्माण की नींव रखी।

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