डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती 3 दिसंबर 1884 को बिहार के सिवान जिले के जीरादेई गांव में हुई थी। वे स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति और एक महान स्वतंत्रता सेनानी थे। उनकी शिक्षा और व्यक्तित्व ने उन्हें भारत के राजनीतिक और सामाजिक जीवन में एक प्रमुख स्थान दिलाया।
प्रमुख जीवन घटनाएँ:
1. प्रारंभिक जीवन और शिक्षा:
डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म एक साधारण परिवार में हुआ। उनकी प्रारंभिक शिक्षा छपरा और पटना में हुई। बाद में उन्होंने कलकत्ता विश्वविद्यालय से कानून की पढ़ाई की, जहाँ वे अपनी असाधारण मेधा के लिए जाने गए।
2. स्वतंत्रता संग्राम में योगदान:
महात्मा गांधी के नेतृत्व में वे स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय हुए। उन्होंने 1917 में चंपारण सत्याग्रह में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके समर्पण और नेतृत्व कौशल ने उन्हें कांग्रेस पार्टी के शीर्ष नेताओं में स्थान दिलाया।
3. संविधान सभा में भूमिका:
स्वतंत्रता के बाद, उन्हें भारतीय संविधान सभा का अध्यक्ष बनाया गया। उनके नेतृत्व में भारत का संविधान तैयार किया गया, जो 26 जनवरी 1950 को लागू हुआ।
4. भारत के प्रथम राष्ट्रपति:
26 जनवरी 1950 को, भारत गणराज्य बनने के बाद, डॉ. राजेंद्र प्रसाद देश के प्रथम राष्ट्रपति बने। उन्होंने दो बार राष्ट्रपति पद संभाला और अपने कार्यकाल में सादगी और निष्ठा का आदर्श प्रस्तुत किया।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद की विरासत:
वे न केवल एक विद्वान और नेता थे, बल्कि एक सच्चे गांधीवादी भी थे।
उनकी आत्मकथा "आत्मकथा" भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के अनुभवों का जीवंत दस्तावेज है।
उनकी सादगी, ईमानदारी और राष्ट्रप्रेम ने उन्हें जन-जन का नेता बनाया।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती हमें उनके योगदान और आदर्शों को याद करने का अवसर देती है। उनका जीवन हर भारतीय के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
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