शनिवार, 20 सितंबर 2025

तैमूर का भारत आक्रमण और उसका प्रभाव – दिल्ली सल्तनत पर एक ऐतिहासिक दृष्टि

तैमूर के 1398 ई. भारत आक्रमण, उसकी पृष्ठभूमि, दिल्ली पर हमला और भारतीय इतिहास पर प्रभाव की विस्तृत जानकारी यहाँ पढ़ें।

प्रस्तावना

14वीं शताब्दी का उत्तरार्ध भारतीय इतिहास में उथल-पुथल का समय था। दिल्ली सल्तनत आंतरिक संघर्षों से जूझ रही थी और इसी बीच मध्य एशिया से एक भयंकर आक्रमणकारी – तैमूर लंग – भारत की ओर बढ़ा। 1398 ई. में उसका आक्रमण भारतीय इतिहास का एक निर्णायक मोड़ बना।


तैमूर कौन था?

मूल नाम: तैमूर ग़ुरगानी (Timur-e-Lang)

जन्म: 1336 ई., समरकंद (उज़्बेकिस्तान)

खुद को चंगेज़ ख़ान का उत्तराधिकारी मानता था।

लक्ष्य: एशिया और मध्य पूर्व में अपना साम्राज्य विस्तार।


भारत आक्रमण की पृष्ठभूमि

दिल्ली सल्तनत में अराजकता: तुगलक वंश कमजोर, केंद्र में फ़िरोज़ शाह तुगलक के बाद राजकुमारों में सत्ता संघर्ष।

आर्थिक कारण: तैमूर को धन, सोना, और हाथियों की जरूरत।

धार्मिक कारण: खुद को इस्लाम का रक्षक बताते हुए भारत के गैर-इस्लामी शासकों पर हमला करने का बहाना।



आक्रमण की मुख्य घटनाएँ

1. 1398 ई. अक्टूबर: तैमूर सिंधु नदी पार कर भारत में प्रवेश करता है।


2. लाहौर से दिल्ली की ओर: रास्ते में क़स्बों को लूटा।


3. दिल्ली की लड़ाई (17 दिसम्बर 1398):

मुहम्मद शाह तुगलक की सेना पराजित।

तैमूर ने दिल्ली में भीषण नरसंहार करवाया।

हजारों निर्दोष नागरिक मारे गए।




लूटपाट और विनाश

दिल्ली की मस्जिदों, महलों, घरों को लूटा।

सोना, चांदी, कीमती रत्न और हाथियों को समरकंद भेजा।

अनुमान: लाखों लोग मारे गए और पूरी राजधानी खंडहर बन गई।



तैमूर का प्रभाव

1. राजनीतिक प्रभाव

दिल्ली सल्तनत और कमजोर हुई।

क्षेत्रीय शक्तियों – जैसे मेवाड़, गुजरात – को स्वतंत्रता का अवसर मिला।



2. आर्थिक प्रभाव

कृषि और व्यापार ध्वस्त।

कर वसूली बंद, जनता में भारी कष्ट।



3. सांस्कृतिक प्रभाव

तैमूर अपने साथ कारीगर, कलाकार समरकंद ले गया।

भारत में वास्तुकला पर अप्रत्यक्ष प्रभाव (मुगल कला में झलक)।



निष्कर्ष

तैमूर का भारत आक्रमण केवल लूटपाट नहीं था, बल्कि दिल्ली सल्तनत के पतन का प्रतीक था। इससे भारत की राजनीति नई दिशा में बढ़ी और मुग़ल साम्राज्य के लिए मार्ग तैयार हुआ।



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