सोमवार, 30 जून 2025

मौर्य साम्राज्य का अंत और शुंग वंश का आरंभ




मौर्य साम्राज्य का अंत और शुंग वंश का आरंभ

(185 ई.पू. की ऐतिहासिक घटना)

प्रस्तावना:
मौर्य साम्राज्य, जिसकी स्थापना चंद्रगुप्त मौर्य ने 322 ई.पू. में की थी, भारतीय उपमहाद्वीप का पहला महान साम्राज्य माना जाता है। यह साम्राज्य लगभग 137 वर्षों तक चला। सम्राट अशोक के पश्चात मौर्य साम्राज्य धीरे-धीरे कमजोर होता गया और अंततः 185 ई.पू. में इसका अंत हो गया।


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अंतिम मौर्य सम्राट – बृहद्रथ मौर्य

बृहद्रथ मौर्य मौर्य वंश के अंतिम सम्राट थे। वे एक सौम्य और सहनशील शासक के रूप में जाने जाते थे, लेकिन उनके शासनकाल में साम्राज्य बहुत कमजोर हो चुका था। सीमाओं पर आक्रमण बढ़ रहे थे और केंद्रीय सत्ता कमजोर होती जा रही थी।


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पुष्यमित्र शुंग का विद्रोह

पुष्यमित्र शुंग, जो बृहद्रथ मौर्य का सेनापति था, उसने 185 ई.पू. में एक सैनिक परेड के दौरान ही सम्राट बृहद्रथ की हत्या कर दी। यह घटना मौर्य साम्राज्य के अंत और एक नए युग की शुरुआत का संकेत थी।


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शुंग वंश की स्थापना

बृहद्रथ की हत्या के बाद पुष्यमित्र शुंग ने स्वयं को सम्राट घोषित कर दिया और शुंग वंश की स्थापना की। यह वंश ब्राह्मणों द्वारा शासित था और मौर्य वंश के बौद्ध प्रभाव के विपरीत था। पुष्यमित्र शुंग ने वैदिक परंपराओं और यज्ञों को पुनर्जीवित किया।


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ऐतिहासिक महत्व

मौर्य साम्राज्य का पतन भारतीय इतिहास का एक महत्वपूर्ण मोड़ था।

शुंग वंश ने बौद्ध धर्म के प्रभाव को सीमित करने की कोशिश की और ब्राह्मण धर्म को बढ़ावा दिया।

यह बदलाव धार्मिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण था।



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निष्कर्ष

185 ई.पू. में बृहद्रथ मौर्य की हत्या के साथ ही भारत के सबसे बड़े साम्राज्यों में से एक का अंत हो गया। पुष्यमित्र शुंग द्वारा स्थापित शुंग वंश ने भारत के इतिहास में एक नया अध्याय शुरू किया, जिसने भविष्य की राजनीतिक और धार्मिक दिशा को प्रभावित किया।

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