मंगलवार, 24 जून 2025

महाजनपद काल और बौद्ध-जैन धर्म (600 ईसा पूर्व से 300 ईसा पूर्व तक)


🏯 महाजनपद काल और बौद्ध-जैन धर्म

समय: लगभग 600 ईसा पूर्व से 300 ईसा पूर्व तक
यह काल भारतीय इतिहास का संक्रमणकाल था, जहाँ छोटे-छोटे जनपद संगठित होकर "महाजनपद" बने, और साथ ही बौद्ध व जैन धर्मों का उदय हुआ।


---

🏰 महाजनपद काल

🔹 क्या थे महाजनपद?

"महाजनपद" का अर्थ है: “बड़े राज्य”।

16 प्रमुख महाजनपदों का वर्णन बौद्ध ग्रंथ 'अंगुत्तर निकाय' में मिलता है।


🔸 प्रमुख 16 महाजनपद:

महाजनपद राजधानी

मगध राजगृह, पाटलिपुत्र
कोशल श्रावस्ती
अवंति उज्जयिनी
वत्स कौशांबी
कुरु इन्द्रप्रस्थ
पांचाल अहिच्छत्र
गंधार तक्षशिला


🛡️ शासन व्यवस्था:

कुछ गणराज्य (जैसे वज्जि संघ) लोकतांत्रिक थे।

अधिकतर महाजनपदों में राजशाही थी।



---

☸️ बौद्ध धर्म

संस्थापक: गौतम बुद्ध (563 ई.पू.–483 ई.पू.)
जन्म: लुंबिनी (अब नेपाल में), शाक्य कुल में
ज्ञान प्राप्ति: बोधगया में, पीपल वृक्ष के नीचे
प्रथम उपदेश: सारनाथ – “धर्मचक्र प्रवर्तन”
निर्वाण: कुशीनगर में

मुख्य सिद्धांत (चार आर्य सत्य):

1. दुख है


2. दुख का कारण है – तृष्णा


3. दुख का अंत संभव है


4. अष्टांगिक मार्ग – मोक्ष का रास्ता




---

🕉️ जैन धर्म

प्रवर्तक: महावीर स्वामी (599 ई.पू.–527 ई.पू.)
जन्म: वैशाली के पास कुण्डग्राम में, क्षत्रिय कुल
24वें तीर्थंकर
कैवल्य ज्ञान: ऋजुपालिका नदी के किनारे
निर्वाण: पावापुरी (बिहार)

मुख्य सिद्धांत:

अहिंसा (Non-Violence)

सत्य, अपरिग्रह, ब्रह्मचर्य, अस्तेय

तीन रत्न – सम्यक दर्शन, सम्यक ज्ञान, सम्यक चरित्र



---

🔚 निष्कर्ष:

इस काल ने भारतीय समाज को राजनैतिक, धार्मिक और दार्शनिक रूप से नई दिशा दी।
महाजनपदों ने राजनीतिक एकता की नींव रखी, जबकि बौद्ध और जैन धर्मों ने धार्मिक सुधार और सामाजिक समानता का संदेश दिया।

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें

कोरोना महामारी और भारत का ऐतिहासिक प्रबंधन – भारत ने कैसे दुनिया को राह दिखाई?

कोरोना महामारी में भारत का प्रबंधन, लॉकडाउन, वैक्सीन, आर्थिक पैकेज, स्वास्थ्य रणनीतियों और वैश्विक योगदान पर 1000+ शब्दों की पूर...