🕉️ सम्राट अशोक (273–232 ई.पू.) – धर्म, शांति और महानता का प्रतीक
सम्राट अशोक मौर्य साम्राज्य के सबसे प्रसिद्ध और महान सम्राटों में से एक थे। वे चंद्रगुप्त मौर्य के पौत्र और बिंदुसार के पुत्र थे। अशोक का शासनकाल भारतीय इतिहास का स्वर्णिम अध्याय रहा, जिसमें भारत का विशाल भूभाग एक सत्ता के अंतर्गत आया।
🏹 प्रारंभिक जीवन और युद्धप्रिय स्वभाव
अपने आरंभिक वर्षों में अशोक एक वीर योद्धा और कट्टर प्रशासक के रूप में प्रसिद्ध थे। उन्होंने कई विद्रोहों को कुचला और अपने राज्य को मजबूत किया।
किन्तु कलिंग युद्ध (261 ई.पू.) ने उनके जीवन की दिशा ही बदल दी। लाखों सैनिकों और नागरिकों की मृत्यु ने उन्हें भीतर तक झकझोर दिया।
🕊️ धम्म की राह – एक आत्मिक परिवर्तन
कलिंग युद्ध के बाद अशोक ने हिंसा का मार्ग छोड़कर बौद्ध धर्म को अपनाया। उन्होंने अहिंसा, करुणा और धर्म (धम्म) के सिद्धांतों पर शासन करना शुरू किया।
अशोक ने बौद्ध धर्म के प्रचार हेतु भारत और विदेशों में अनेक धम्म स्तंभ, गुफाएँ, और शिलालेख बनवाए, जो आज भी उनके वैचारिक संदेश का प्रमाण हैं।
🌍 वैश्विक संदेशवाहक
अशोक पहले भारतीय सम्राट थे जिन्होंने धर्म का प्रचार भारत से बाहर श्रीलंका, अफगानिस्तान, मिस्र और ग्रीस तक करवाया। उन्होंने अपने पुत्र महेंद्र और पुत्री संघमित्रा को धर्मदूत बनाकर श्रीलंका भेजा।
🏛️ धरोहर
अशोक के शासन के प्रमाण आज भी सांची स्तूप, अशोक स्तंभ (सारनाथ) और भारत सरकार का राष्ट्रीय प्रतीक (अशोक चक्र) के रूप में जीवित हैं।
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🔚 निष्कर्ष
सम्राट अशोक एक ऐसे शासक थे जिन्होंने युद्ध की आग से शांति का प्रकाश पाया। वे इतिहास में इस बात के प्रतीक बन गए कि असली शक्ति लोगों के कल्याण और सेवा में है।
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