गुरुवार, 19 जून 2025

1947 – लॉर्ड माउंटबेटन की योजना के तहत पंजाब और बंगाल का विभाजन




1947 – लॉर्ड माउंटबेटन की योजना के तहत पंजाब और बंगाल का विभाजन: विवरण

साल 1947 भारत के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ था, जब ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिलने के साथ-साथ देश का विभाजन भी हुआ। इस विभाजन की योजना ब्रिटिश वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन के द्वारा तैयार की गई थी, जिसे "माउंटबेटन योजना" (Mountbatten Plan) कहा जाता है। इस योजना के अंतर्गत ही पंजाब और बंगाल जैसे बड़े प्रांतों का विभाजन हुआ।

विभाजन का कारण:

भारत में हिंदू और मुस्लिम समुदायों के बीच बढ़ते तनाव और मुस्लिम लीग की मांग थी कि मुसलमानों के लिए एक अलग राष्ट्र (पाकिस्तान) बनाया जाए।

कांग्रेस और मुस्लिम लीग के बीच सत्ता साझा करने पर सहमति नहीं बन पा रही थी।


माउंटबेटन योजना की मुख्य बातें:

भारत को दो स्वतंत्र देशों – भारत और पाकिस्तान – में बांटा जाएगा।

पंजाब और बंगाल, जो धार्मिक रूप से मिश्रित प्रांत थे, उन्हें भी धार्मिक आधार पर विभाजित किया जाएगा।

जनता की इच्छा जानने के लिए इन प्रांतों के कुछ हिस्सों में जनमत संग्रह कराया जाएगा।

विभाजन की रेखा खींचने के लिए एक सीमा आयोग (Boundary Commission) नियुक्त किया गया, जिसकी अध्यक्षता सर सिरिल रैडक्लिफ ने की।


पंजाब और बंगाल का विभाजन:

1. पंजाब:

पश्चिमी पंजाब (जहां मुस्लिम बहुमत था) → पाकिस्तान में गया।

पूर्वी पंजाब (जहां हिंदू और सिख बहुमत था) → भारत में रहा।

इससे भारी संख्या में हिंसा, दंगे, और जनसंख्या का पलायन हुआ।



2. बंगाल:

पूर्वी बंगाल (मुस्लिम बहुल) → पाकिस्तान में (आज का बांग्लादेश) गया।

पश्चिमी बंगाल (हिंदू बहुल) → भारत का हिस्सा बना।




परिणाम:

लाखों लोग सीमा पार कर भारत या पाकिस्तान चले गए।

हजारों लोग मारे गए, महिलाएं अपहरण और हिंसा का शिकार हुईं।

यह विभाजन इतिहास का सबसे दर्दनाक और हिंसक घटनाक्रम माना जाता है।


निष्कर्ष:

1947 में लॉर्ड माउंटबेटन की योजना के तहत किया गया पंजाब और बंगाल का विभाजन, धार्मिक आधार पर देश के बंटवारे का आधार बना, जो आज भी भारतीय उपमहाद्वीप की राजनीति और समाज को गहराई से प्रभावित करता है।

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