29 दिसंबर: भारत में ऐतिहासिक महत्व
1. मिर्ज़ा ग़ालिब का जन्म (1797)
उर्दू और फ़ारसी के सबसे प्रमुख कवियों में से एक, मिर्ज़ा ग़ालिब का जन्म इसी दिन आगरा में हुआ था। ग़ालिब की कविताएँ अपनी गहराई और रूमानियत के कारण दक्षिण एशिया में प्रभावशाली बनी हुई हैं।
2. भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का स्थापना सत्र (1885)
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने अपना पहला सत्र 28-31 दिसंबर 1885 को बॉम्बे (मुंबई) में आयोजित किया। इसने भारत के स्वतंत्रता के लिए राजनीतिक संघर्ष की औपचारिक शुरुआत को चिह्नित किया। इस सत्र की अध्यक्षता डब्ल्यू.सी. बनर्जी ने की थी।
3. बॉम्बे रिक्लेमेशन प्रोजेक्ट का पूरा होना (1869)
बॉम्बे (अब मुंबई) में 29 दिसंबर को भूमि पुनर्ग्रहण परियोजनाओं के पूरा होने पर महत्वपूर्ण विकास हुआ। इसने शहर के भूगोल को बदल दिया और एक प्रमुख शहरी केंद्र के रूप में इसके विकास की नींव रखी।
4. राज्य पुनर्गठन आयोग का गठन (1953)
भारत सरकार ने भाषाई आधार पर राज्यों के पुनर्गठन की सिफारिश करने के लिए राज्य पुनर्गठन आयोग की स्थापना की, जिसने अंततः आधुनिक भारत की राज्य सीमाओं को आकार दिया।
5. 2004 की आपदा के बाद सुनामी राहत अभियान
26 दिसंबर 2004 को हिंद महासागर में आई विनाशकारी सुनामी के बाद, 29 दिसंबर पूरे भारत में, विशेष रूप से तमिलनाडु, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में राहत और बचाव अभियान के लिए महत्वपूर्ण दिन था।
6. राजेश खन्ना की मृत्यु (1942-2012)
हालांकि यह उनकी सटीक पुण्यतिथि नहीं है, लेकिन इस तिथि को अक्सर भारत के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना के जीवन के अंतिम सप्ताह के रूप में याद किया जाता है, जो अपने बेजोड़ स्टारडम और शानदार फिल्मों के लिए जाने जाते थे।
ये घटनाएँ सामूहिक रूप से सदियों से भारत के सांस्कृतिक, राजनीतिक और ऐतिहासिक विकास को दर्शाती हैं।
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