रविवार, 1 दिसंबर 2024

ऑपरेशन विजय की शुरुआत (1961)

ऑपरेशन विजय की शुरुआत (1961)

परिचय:
ऑपरेशन विजय, 1961 में भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा गोवा, दमन और दीव को पुर्तगाली शासन से मुक्त कराने के लिए किया गया एक सैन्य अभियान था। यह ऑपरेशन 18 दिसंबर 1961 से शुरू होकर 19 दिसंबर 1961 तक चला और इसे भारतीय इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना के रूप में देखा जाता है।


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पृष्ठभूमि:

पुर्तगाली शासन का इतिहास:
गोवा, दमन और दीव 16वीं शताब्दी से पुर्तगाली उपनिवेश थे। भारत की स्वतंत्रता (1947) के बाद भी ये क्षेत्र पुर्तगाल के नियंत्रण में बने रहे।

भारत सरकार की कूटनीति:
भारत सरकार ने कई वर्षों तक शांतिपूर्ण बातचीत और कूटनीतिक प्रयासों से इन क्षेत्रों को वापस पाने की कोशिश की। लेकिन पुर्तगाल ने इसे सिरे से खारिज कर दिया।

सैन्य हस्तक्षेप का निर्णय:
कूटनीति विफल होने के बाद प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू की सरकार ने गोवा को सैन्य कार्रवाई से मुक्त कराने का निर्णय लिया।



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ऑपरेशन विजय की शुरुआत:

तिथि और योजना:
ऑपरेशन विजय की शुरुआत 18 दिसंबर 1961 को की गई। भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने एक संयुक्त अभियान चलाया।

भारतीय सशस्त्र बलों की तैयारी:

थल सेना: भारतीय थल सेना ने 30,000 सैनिकों के साथ गोवा पर हमला किया।

वायुसेना: भारतीय वायुसेना ने रणनीतिक बमबारी और टोह लेने के मिशन में भूमिका निभाई।

नौसेना: भारतीय नौसेना ने गोवा के समुद्री तटों की नाकेबंदी की।


पुर्तगाली सेना की स्थिति:
पुर्तगाली सेना के पास लगभग 3,000 सैनिक थे, जो भारतीय सेना के मुकाबले काफी कम थे।



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मुख्य घटनाएँ:

1. थल सेना की प्रगति:
भारतीय सेना ने गोवा के कई प्रमुख क्षेत्रों पर कब्जा कर लिया, जिसमें पणजी और मडगांव शामिल थे।


2. वायुसेना का सहयोग:
भारतीय वायुसेना ने पुर्तगाली ठिकानों पर सटीक बमबारी की, जिससे उनके आत्मसमर्पण का मार्ग प्रशस्त हुआ।


3. नौसेना का प्रभाव:
भारतीय नौसेना ने पुर्तगाली जहाजों को घेर लिया, जिससे उनका भागने का रास्ता बंद हो गया।




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परिणाम:

पुर्तगाली आत्मसमर्पण:
पुर्तगाली गवर्नर जनरल मैनुअल एंटोनियो वसालो ई सिल्वा ने 19 दिसंबर 1961 को आत्मसमर्पण कर दिया।

गोवा, दमन और दीव की आज़ादी:
ये क्षेत्र भारत में विलय हो गए और केंद्र शासित प्रदेश बनाए गए।



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महत्व:

भारत ने अपनी क्षेत्रीय अखंडता को पुनः स्थापित किया।

यह घटना भारतीय सैन्य शक्ति और कूटनीतिक दृढ़ता का प्रतीक बनी।

1961 के ऑपरेशन विजय ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत की ताकत को दर्शाया।



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निष्कर्ष:
ऑपरेशन विजय 1961 भारतीय सैन्य इतिहास का एक गौरवशाली अध्याय है। यह घटना न केवल भारत की अखंडता के लिए महत्वपूर्ण थी, बल्कि एक संदेश भी था कि भारत अपने राष्ट्रीय हितों की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है।

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