भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की स्थापना भारत के स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है। इसका प्रथम सत्र 28-31 दिसंबर 1885 के बीच बंबई (अब मुंबई) के गोकुलदास तेजपाल संस्कृत महाविद्यालय में आयोजित किया गया। इस सत्र की अध्यक्षता वोमेश चंद्र बनर्जी ने की थी। कांग्रेस की स्थापना का मुख्य उद्देश्य भारतीयों के लिए एक ऐसा मंच प्रदान करना था, जहां वे अपने राजनीतिक, आर्थिक, और सामाजिक मुद्दों पर चर्चा कर सकें और औपनिवेशिक शासन के सामने अपनी मांगें रख सकें।
स्थापना का उद्देश्य
भारत में अंग्रेज़ी शासन के अंतर्गत प्रशासनिक सुधारों की मांग करना।
भारतीय जनता की राजनीतिक चेतना को जागृत करना।
विभिन्न प्रांतों के लोगों को एक मंच पर लाना और राष्ट्रीय एकता को बढ़ावा देना।
महत्वपूर्ण तथ्य
1. कांग्रेस की स्थापना का श्रेय ए. ओ. ह्यूम (एक सेवानिवृत्त ब्रिटिश सिविल सेवा अधिकारी) को दिया जाता है। उन्होंने भारतीय बुद्धिजीवियों और नेताओं को एकजुट किया।
2. स्थापना सत्र में कुल 72 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
3. इस सत्र में कांग्रेस के उद्देश्यों को स्पष्ट करते हुए एक समग्र राजनीतिक मंच की नींव रखी गई।
सत्र के प्रमुख निर्णय
1. ब्रिटिश सरकार से संवाद कायम करना।
2. भारतीयों को सरकारी सेवाओं में प्रतिनिधित्व दिलाने की मांग।
3. कानून बनाने की प्रक्रिया में भारतीयों की भागीदारी सुनिश्चित करना।
महत्व
भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का यह पहला सत्र देश में स्वतंत्रता आंदोलन की नींव रखने में एक ऐतिहासिक कदम साबित हुआ। यह सत्र न केवल भारतीय समाज में राजनीतिक चेतना का विकास करने में सहायक था, बल्कि भारतीय नेताओं के बीच एकता और सहयोग का प्रतीक भी बना।
इस स्थापना सत्र ने आने वाले समय में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की दिशा और गति तय की।
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