कलकत्ता विश्वविद्यालय की स्थापना 1854 में नहीं बल्कि 1857 में हुई थी, हालाँकि इसकी वैचारिक नींव 1854 में वुड्स डिस्पैच की शुरुआत के साथ रखी गई थी, जिसमें भारत में उच्च शिक्षा के महत्व पर जोर दिया गया था। यहाँ एक विस्तृत अवलोकन दिया गया है:
स्थापना पृष्ठभूमि
वुड्स डिस्पैच (1854): इसे "भारत में अंग्रेजी शिक्षा का मैग्ना कार्टा" माना जाता है, इसने भारत में विश्वविद्यालयों की स्थापना के लिए आधार तैयार किया, जिसमें लंदन विश्वविद्यालय के मॉडल पर आधारित संस्थानों की सिफारिश की गई।
उद्देश्य: पश्चिमी शिक्षा की शुरुआत करना और कला, विज्ञान और पेशेवर विषयों में उच्च शिक्षा को बढ़ावा देना।
विश्वविद्यालय की स्थापना
स्थापना वर्ष: कलकत्ता विश्वविद्यालय की औपचारिक स्थापना 24 जनवरी, 1857 को हुई, जो इसे दक्षिण एशिया के पहले आधुनिक विश्वविद्यालयों में से एक बनाता है।
संस्थापक और समर्थक: प्रमुख हस्तियों में डॉ. फ्रेडरिक जॉन मौट, एक शिक्षक और सुधारवादी, और ब्रिटिश अधिकारी शामिल थे जिन्होंने ब्रिटिश राज की बढ़ती प्रशासनिक जरूरतों को पूरा करने के लिए एक विश्वविद्यालय की कल्पना की थी।
महत्व
पहला बहुविषयक विश्वविद्यालय: कानून, चिकित्सा, विज्ञान और मानविकी में शिक्षा प्रदान करता है।
संबद्धता मॉडल: लंदन विश्वविद्यालय के समान एक संरचना को अपनाया, एक जांच और संबद्ध निकाय के रूप में कार्य करते हुए, बंगाल, बिहार और ओडिशा में फैले कॉलेजों को नियंत्रित करता है।
विरासत: भारत में आधुनिक शिक्षा को आकार देने और भारतीय पुनर्जागरण के दौरान बौद्धिक जागृति को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
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